समर्थ स्वामी जगजीवन दास साहब द्वारा रचित पुस्तकें जीवन के उद्धार के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितनी भगवत गीता, क्योंकि इनमें जीवन के सत्य को जानने का गहरा ज्ञान समाहित है। उनकी रचनाएँ, जैसे कि 'अघ विनाश', 'शब्द सागर', और 'परम ग्रंथ', आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि और नैतिक मार्गदर्शन का अनमोल भंडार हैं। इन कृतियों में निहित ज्ञान हमें सांसारिक बंधनों से मुक्ति पाने और आत्म-साक्षात्कार की ओर बढ़ने का मार्ग दिखाता है। जिस प्रकार भगवत गीता हमें धर्म, कर्म और मोक्ष के गूढ़ रहस्यों से परिचित कराती है, उसी प्रकार जगजीवन दास साहब की वाणी भी जीवन के वास्तविक उद्देश्य और परम सत्य की खोज में हमारी सहायता करती है। इन पुस्तकों का अध्ययन हमें सही मार्ग दिखाता है और जीवन को सार्थक बनाने की प्रेरणा देता है।
इनमें से कुछ प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:
अघ विनाश
शब्द सागर
दोहावली
मनपूरन
परम ग्रंथ
ज्ञान प्रगास
महा प्रलय
महावीर स्तुति I, II, III
छंद विरति I, II, III
ककाहरनामा I, II, III
चरण बंदगी
शरण बंदगी
बुद्धि वृद्धि
दृढ़ ध्यान
उग्र ज्ञान
सन्यास योग
अघोर मंत्र
बारहमासा
शब्द लीला
मंत्रावली
यंत्रावली
बांदावली
तंत्रावली