सतनाम पंथ एक पवित्र आध्यात्मिक धारा है जिसकी स्थापना संत शिरोमणि समर्थ स्वामी श्री जगजीवन दास साहब जी ने की थी। यह पंथ आडंबरों और भेदभाव से परे, सत्य (सतनाम) की उपासना और मानवीय समानता पर आधारित है। सतनाम पंथ का मूल सिद्धांत है कि ईश्वर एक है और उसका सच्चा नाम "राम" है, जिसका स्मरण और जिसे जीवन में धारण करना ही आत्मिक जागृति और मुक्ति का मार्ग है।
पंथ के संस्थापक, समर्थ स्वामी श्री जगजीवन साहेब जी ने सिखाया कि जन्म या जाति के आधार पर कोई भेद नहीं है; सभी मानव एक समान हैं। उन्होंने सामाजिक कुरीतियाँ जैसे छुआछूत, मूर्ति पूजा में अनावश्यक आडंबर और व्यर्थ के रिवाज का विरोध किया। पंथ का जोर सरल, नैतिक और सत्य-आधारित जीवन जीने पर है, जिसमें प्रेम, दया और करुणा जैसे गुणों को महत्व दिया जाता है।
सतनाम पंथ में "चार पावा" और "चौदह गद्दी" एक महत्वपूर्ण संगठनात्मक और आध्यात्मिक संरचना का प्रतिनिधित्व करते हैं। "चार पावा" का अर्थ है समर्थ स्वामी जगजीवन साहब के चार प्रमुख शिष्य, जिन्हें उन्होंने धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए विभिन्न क्षेत्रों में नियुक्त किया था । इन चार पावाओं के नाम हैं: गोसाईं दास (कमोली धाम), दूलन दास (धर्मे धाम), देवी दास (पुरवा धाम), और ख्याम दास (मढ़नापुर ) । ये शिष्य अपने गुरु के संदेश को दूर-दूर तक पहुँचाने और सतनाम पंथ की शिक्षाओं को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
चौदह गद्दी" का अर्थ है समर्थ स्वामी जगजीवन साहब के चौदह अन्य प्रमुख शिष्य, जिन्होंने विभिन्न स्थानों पर पंथ के केंद्रों की स्थापना की । इन चौदह गद्दियों के नाम हैं: अहलाद दास (सरदहा धाम), उदयराम दास (हरचंदपुर), नेवल दास (उमापुर), भवानी दास (बहरेला धाम), मेड़न दास (अटवा धाम), बादली दास (अटवा धाम), राम दास (अटवा धाम), माधव दास (हथौंधा धाम), शिव दास (पंजाब, पाकिस्तान), प्यारे दास (जरौली धाम ), बाल दास (अमरा नगर), मंशा दास (मरचौर), कृपा दास (खरथरी), और कायम दास (रसूल पुर) । इन गद्दियों ने सतनाम पंथ की नींव को मजबूत किया और विभिन्न क्षेत्रों में इसके अनुयायियों को संगठित करने में मदद की।
चार पावा
गोसाईं दास
कमोली धाम, बाराबंकी
दूलन दास
धर्मे धाम, रायबरेली
देवी दास
पुरवा धाम, बाराबंकी
ख्याम दास
मधनापुर धाम , बाराबंकी
14 गद्दी
अहलाद दास
सरदहा धाम बाराबंकी
उदयराम दास
हरचंदपुर धाम अयोध्या
नेवल दास
उमापुर धाम अयोध्या
भवानी दास
बहरेला धाम बाराबंकी
मेड़न दास
अटवा धाम बाराबंकी
बादली दास
अटवा धाम बाराबंकी
राम दास
अटवा धाम बाराबंकी
माधव दास
हथौंधा धाम बाराबंकी
शिव दास
पंजाब, पाकिस्तान
प्यारे दास
जरौलीधाम बाराबंकी
बाल दास
अमरा नगर धाम बाराबंकी
मंशा दास
मरचौर धाम गोंडा
कृपा दास
खरथरी धाम गोंडा
कायम दास
रसूल पुर धाम अयोध्या
समर्थ स्वामी जगजीवन दास साहब के श्रद्धेय वंशज, महंत तेजेंद्र बक्स दास साहब और उनकी सहधर्मिणी, श्रद्धेया दिव्या दास जी, दोनों ही संत स्वरूप थे जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सत्यनाम संप्रदाय और समर्थ स्वामी जी के असंख्य भक्तों की सेवा में अत्यंत निष्ठा, समर्पण और अथक परिश्रम के साथ समर्पित कर दिया। इस पूजनीय जोड़ी ने संयुक्त रूप से संप्रदाय के उत्थान और अनुयायियों के आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए अभूतपूर्व कार्य किया, जिससे अनगिनत भक्त प्रेरित हुए। उनका त्यागमय और सेवापूर्ण जीवन सभी के लिए एक मिसाल है। वर्ष २००९ में महंत तेजेंद्र बक्स दास साहब और वर्ष २०१६ में श्रद्धेया दिव्या दास जी के नश्वर शरीर त्याग कर ब्रह्मलीन होने के पश्चात, उनकी इस महान आध्यात्मिक विरासत और सेवा के कार्य को अब उनके सुपुत्र, श्री नीलेन्द्र बक्स दास जी और उनकी धर्मपत्नी, श्रीमती वंदना दास जी, पूरी लगन, निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। वे अपने पूज्य माता-पिता द्वारा स्थापित सेवा और सत्य के मार्ग पर चलते हुए संप्रदाय और भक्तों के प्रति अपने महत्वपूर्ण दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहे हैं। महंत तेजेंद्र बक्स दास जी और दिव्या दास जी का योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा और उनकी प्रेरणादायक विरासत श्री नीलेन्द्र बक्स दास जी व श्रीमती वंदना दास जी के समर्पित प्रयासों के माध्यम से निरंतर जीवंत है और आगे बढ़ रही है।
महंत नीलेन्द्र बख्श दास 'नीरज भैया'
समर्थ स्वामी श्री जगजीवन साहब के बाद 10 पीढ़ी के वंशज वर्तमान महन्त कोटवा धाम